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Showing posts from May, 2017

सफर ज़िंदगी का

मध्य रात्रि का समय था। आसमान मे चादं-चमक रहा था। सडक पे बहुत भीड थी। लोग अपने घर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे। उन्ही लोगो के बीच मे एक लडकी थी। जिसका रंग गेरुआ और कद करीबन पाचं फुट का था। वह एक छोटे घर से सम्बधं रखती थी। अपने घर को उजागर कर सके इसलिए एक छोटे से दफ्तर मे नौकरी करती थी। उस दिन बस के इंतजार मे वो भी वहाँ खडी थी। अन्य दिन के मुकाबले उस दिन बस नही आ रही थी। लडकी को बस का इंतज़ार करते हुए तकरीबन आधा घंटा हो गया था। धीरे धीरे चांद छूपता दिखाई दे रहा था मौसम भी बदल रहा था। आंधी आने की संम्भावना थी। हवा बहुत तेज़ चल रही थी। उस लडकी को आधा रास्ता बस से और बाकि का पैदल तय करना था। जहाँ वह रहती थी वहाँ न कोई बस जाती थी और न ही कोई गाडी वाला , उसके घर मे छोटे दो भाई बहन थे पिता तो थे लेकिन वो घर को इतनी अच्छी तरह नही देखते थे। सारा घर उसको सम्भालना था। अचानक बडी मुश्किलो के बाद , उसे दूर से आ रही बस नज़र आती है। जो बहुत भरी हुई होती है। वह जानती थी की अगर उसने अगली बस का इंतज़ार किया तो उसे बहुत देर हो जायगी इसलिए उसने साहसपूर्ण निश्चय किया कि वह इस बस मे जायगी। लोगो