सर्दी का समय था । मौसम एक दम ठन्डा था। सूरज डुबता नजर आ रहा था । गली मे नाले का पानी भरा हुआ था जिस वजह से लोग अपने घरो के बाहर निकल कर शोर मचा रहे थे। वही एक लडका था जो अपने घर मे बैठा हुआ अपने संगीत का रियाज कर रहा था। शरीर से गोल मटोल था चेहरे का रंग सावला था। आँखे मछ्ली की तरह थी हमेशा उसकी आँखो मे पानी भरा होता था जैसा लगता की वह रो रहा है। उसकी अवाज इतनी मधुर थी कि कोई भी गालीब की शायरीयो की तरह उसका दीवाना हो जाए। जब भी वह चलता था तो लोगो को उसके चेहरे के हाव भाव ऐसे लगते थे जैसे वह एक घमन्डी लडका है जो किसी से अपना सम्बंध स्थापित नही करना चाहता लेकिन असल मे उसका स्वभाव ऐसा नही था। उसके तीन और बड़े भाई थे, जिनमे से दो की शादी हो चुकी थी उससे बडा कुवाँरा था। मम्मी भगवान के घर जा चुकी थी, जो उस लडके के दिल मे हमेशा कही कमी महसुस होती थी। पिता सिर्फ नाम मात्र ही थे हमेशा अपने ही काम मे मगन रहते थे। वह घर मे तो रहता था लेकिन बंद पिन्जरे मे तोते की तरह। वह बहुत कम घर से बाहर निकलता था। उस पुरी गली मे उसका एक दोस्त था जो उससे कभी-कभार मिलने आया करता था। वह अपना पूरा समय एक ...