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संगीत

सर्दी का समय था । मौसम एक दम ठन्डा था। सूरज डुबता नजर आ रहा था । गली मे नाले का पानी भरा हुआ था जिस वजह से लोग अपने घरो के बाहर निकल कर शोर मचा रहे थे। वही एक लडका था जो अपने घर मे बैठा हुआ  अपने संगीत का रियाज कर रहा था। शरीर से गोल मटोल था चेहरे का रंग सावला था। आँखे मछ्ली की तरह थी हमेशा उसकी आँखो मे पानी भरा होता था जैसा लगता की वह रो रहा है। उसकी अवाज इतनी मधुर थी कि कोई भी गालीब की शायरीयो की तरह उसका दीवाना हो जाए। जब भी वह चलता था तो लोगो को उसके चेहरे के हाव भाव ऐसे लगते थे जैसे वह एक घमन्डी लडका है जो किसी से अपना सम्बंध स्थापित नही करना चाहता लेकिन असल मे उसका स्वभाव ऐसा नही था। उसके तीन और बड़े भाई थे, जिनमे से दो की शादी हो चुकी थी उससे बडा कुवाँरा था।  मम्मी भगवान के घर जा चुकी थी, जो उस लडके के दिल मे हमेशा कही कमी महसुस होती थी। पिता सिर्फ नाम मात्र ही थे हमेशा अपने ही काम मे मगन रहते थे। वह घर मे तो रहता था लेकिन बंद पिन्जरे मे तोते की तरह। वह बहुत कम घर से बाहर निकलता था। उस पुरी गली मे उसका एक दोस्त था जो उससे कभी-कभार मिलने आया करता था। वह अपना पूरा समय एक घर मे रहकर अपने संगीत का रियाज करता था साथ ही साथ फेसबुक पर एक झूठी पहचान से अपना खाता बनाकर लोगो से बात किया करता था। उसकी दूनिया सिर्फ परिवार, फेसबुक और उसका एक दोस्त था।
उस दिन गली मे नाले का पानी भरने की वजह से वह अपनी संगीत का रियाज ठीक से नही कर पा रहा था क्योकि घर मे उसके नाले का पानी ऊपर तक आ गया था। वहाँ सब के घर निचली जगह पे थे उसके घर मे कोई नही था जो घर से पानी बाहर निकाले घर के सारे सदस्य गावँ गए हुए थे। अगर वह पानी निकालता तो पूरी रात हो जाती और कल होने वाली संगीत प्रातियोगिता मे जा नही पाता। उसने निर्णय लिया कि “मै अपने संगीत का रियाज करूगाँ।” वह उस सर्दी मे संगीत का रियाज करता रहा उसे ठन्ड लग रही थी। लोग अपने घर से पानी निकलते हुए उसे पागल बोलने लगे कि “पानी जमा हुआ है लेकिन देखो आज ही संगीतकार बन जाएगा।“
रात का समय हो गया था। सब घरो से पानी निकाल कर सो गए थे। रात को सन्नाटा छा गया था ठन्डी तेज हवा चल रही थी उसका घर पूरा गीला पडा हुआ था उसे बहुत ठन्ड लग रही थी फिर भी वह अपने रियाज मे लगा हुआ था। धीरे-धीरे उसकी आँखो के सामने अंधेरा छा रहा था। वह अपने सपनो की दूनिया मे डूबता दिख रहा था। वह देखता है कि उसके शरीर पे एक कम्बल था उसका घर सूखा था पानी की बूँद का नामो निशान नही था सूरज की किरणे निकल चूकी थी समय बीत रहा था वह थोडी देर भौ-चक्का रह गया लेकिन घडी पे ध्यान जाते हुए वह तुरन्त सब भूल के अपने आपको तैयार करते हुए उस संगीत प्रातियोगिता मे गया और जीत के आया।

Comments

  1. Very goood story....full of emotions and motivations

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