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बूंदा-बांदी और नाले का पानी

बारिश का मौसम था। हल्की-हल्की बारिश की बूंदा-बांदी हो रही थी शाम के छः बज रहे थे लोग अपने दफ्तर से घर की और जाने के लिए बस स्टेंण्ड पर बस का इंतजार कर रहे थे अन्य दिन के मुकाबले बस की सेवा भी बहुत कम थी बस भी नही आ रही थी वहीं उसी लोगो की भीड़ मे एक 20 वर्ष का लड़का बस स्टेंण्ड पर बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर हल्की-हल्की दाढी-मूछ थी आँखो का रंग भूरा था और साधारण से कपडे पहने हुए थे ऊपर केसरी रंग का कुर्ता था और नीचे काले रंग की पेंट। अपनी गोद मे बैग लिए हुए उसे बजा रहा था। अन्य लोगो के मुकाबले वह  लड़का बहुत धैर्य पूर्वक बैठा हुआ अपनी मस्ती से मग्न था। कभी बैग बजाता, कभी गाना गाता तो कभी अपने आप में बढबढाता हुआ नाटक करता। आस-पास खडे स्टेंण्ड पर लोग उसे पागल समझते लेकिन उस लड़के को ये परवाह नही थी कि लोग क्या सोचते है लोगो कि सोच को वह अपने पर हावी नही होने देता। काफी देर बाद एक लोकल वाहन आता है, उस बस स्टेंण्ड पर और वह वाहन चालक सवारी को आवाज लगाता है।

वह लड़का उस वाहन चालक के पास जाता है, पूछता है “खानपुर चलोगें।”
वाहन चालक उस लड़के को टका सा जवाब देते हुए कहता है “भईया खानपुर, संगम विहार मे पानी भरा हुआ है नाले का और कोई वाहन चालक मुश्किल ही जाएगा”। “मैं आपको हमदर्द की लाल बत्ती तक छोड़ सकता हूँ अगर चलना है तो बैठ जाओ“।

वह लड़का मन-ही-मन सोचता काफी समय भी हो गया था और न कोई बस आ रही थी न कोई शायद दूसरी गाडी मिलेगी वैसे भी मौसम बहुत खराब है कभी भी बारिश तेज हो सकती है। वह तुरन्त निश्चय करता है कि इस वाहन मे जायेगा। उस वाहन मे जगह ज्यादा नही होती बहुत दब-दूबा के बैठ जाता बारिश के मौसम में भी वह पसीने से तर-बितर  हो जाता है उसे उस वाहन में बहुत तकलीफ होती है फिर भी वह शांत रहते खुश रहता है करीबन आधा घण्टा बीतने के बाद उसकी मंजिल आ जाती है जहाँ उसे चालक के अनुसार उतरना था  वह हमदर्द की लाल बत्ती पर उतर कर आगे पैदल चलता है रास्ते में देखता है नाले का पानी लोगो के घुटने तक भरा हुआ है  
वाहनो का बहुत शोर-शराबा है लोगो को पता है ट्रेफिक लगा हुआ है। फिर भी लोग अपनी आदत से मजबूर है हॉर्न की च-चे-पे-पे कर रहे है एक दुसरे पे चिल्ला रहे है। कोई बोल रहा है “भाई गाड़ी साइड ले” कोई गुस्से मे अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहा है। लोगो मे धैर्य नाम का कोई शब्द नही दिख रहा है। सबको जल्द बाजी थी। लेकिन असल मे उतना ही समय लगना था जितना लगेगा।

यह सब दृर्श्य देखते हुए वह लड़का पैदल एक तरफ सड़क के किनारे चल रहा था जहाँ पानी नही था। रास्ते में गढ्ढे थे सड़को की मरम्मत के लिए मजदूर पानी सुखाने का इंतजाम कर रहे थे लोग बारिश से बहुत परेशान थे। वह लड़का जैसे-  जैसे आगे बढ रहा था वैसे लोगो को देख रहा था आगे के रास्ते मे घुटनो तक पानी भरा हुआ वह उस नाले के पानी मे उतरना नही चाहता था लेकिन उसके पास कोई और रास्ता नही था उसे भी उस पानी में उतरना पड़ा। उसका घुटना पानी में आ चूका था। वह आधा गीला होते हुए अपने घर जाते हुए सोच रहा था। बारिश बड़ी प्यारी होती है जब तक हम पर मुसीबत ना आए जब मुसीबत आती है तो खराब हो जाती है उसे मन ही मन महसुस हो रहा था यहाँ के लोग कैसे अपना जीवन व्यतीत करते होंगे बारिश के दिन यहाँ ना कोई पानी बहने की जगह ना कोई फुटपाथ ना ढंग की सड़के प्रशासन क्या कर रही है ऐसे कुछ प्रश्न उसके मन में चल रहे थे फिर इन प्रश्नो को भुलते हुए अपनी मगन में मन होते हुए वह गाना गाने लगा –
ये नालो का पानी
लोगो को परेशान करें
सड़के है, टूटी-फुटी
फिर भी कोई न रूके
ये गाते हुए आगे बढते हुए घर पहुँच जाता है।  


Comments

  1. Story is nice, writing flow is good, but punctuations missing and typographical errors can be avoided. By the way I am a copy writer, I can do Hindi, English, Telugu, Malayalam, Kannada to Tamil/ English

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  2. its very good

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