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वक्त


Short Film: वक्त

सीन 01
एक बड़ा सा घर है वहाँ एक आदमी रहता है जो अपने कमरे मे है जिसका नाम आयुष है और वही एक और औरत, घर के दरवाजे की घंटी बजाती है जिसका नाम दृष्टि होता है वह दो तीन बार बजाती है एक आवाज आती है
आयुष :
कौन है?
दृष्टि :
अरे बाबा गेट खोलो
आयुष :
कौन?
दृष्टि :
तुम्हारी पत्नी, जल्दी खोलो
आयुष :
दरवाजा खोलता है
दृष्टि :
बड़ी खुशी के साथ हग करती हुई : इतना टाइम कहाँ
लगा दिया……. ऊपर से पुछ रहे हो कौन ?
आयुष :
कही नहीं, बस एसे ही
दृष्टि :
शक की नजरों से देखते हुए : कही तुमने
रात को ज्यादा चड़ा तो नही ली,
जो ऐसा आज बिहेव कर रहे हो
वो अंदर लेकर आयुष को आती है |
(कट)


सीन 02
दृष्टि और आयुष कमरे के अंदर है वे टीवी देख रहे है  
दृष्टि :
आयुष…... पता नही आज तुम,
 इतने बदले - बदले क्यो लग रहे हो ?
आयुष :
नही तो…. बस ऑफिस के काम से थोड़ा परेशान हूँ
दृष्टि :
आयुष के सर पर हाथ फेरहते हुए :
चलो टेंशन न लो, मे हूँ …..
ये बात छोड़ो, कल रात को,
 क्या बनाया था तुमने ?
मुझे बहुत तेज भूख लगी है
आयुष :
बस, मैगी बनाई थी ।
दृष्टि :
चुटकी बजाते हुए : जरूर तुमने
गैस गंदी कि होगा

आयुष :
अरे बाबा नही……… जाओ नहा के आओ,
 मै तब तक कुछ बनाता हूँ।
(कट)
सीन 03
दृष्टि नहाने के लिए चली जाती है आयुष से तौलियाँ मांगती है तो आयुष को अलमारी मे उसकी पत्नी और किसी गैर आदमी की फोटो मिलती है इससे वह गुस्से मे आ जाता है लेकिन मन मे ही ये गुस्सा दबाकर चुपचाप किचन मे चला जाता है ।

(कट)
सीन 04
दृष्टि और आयुष खाने की टेबल पर बैठे हुए है टेबल पर दुध, मक्खन और ब्रेड रखे हुए है साथ मे चाकू भी रखा हुआ है ।
दृष्टि :
ये तुम्हारा चेहरा क्यु उतरा हुआ है ?
आयुष :
कुछ नही बस ऐसे ही.... बताया तो था
ऑफिस के काम से उतरा हुआ है
दृष्टि :
अरे, आप ना इतना टेंशन ना लो
(हँसते हुए) : अपना पुरा ध्यान मक्खन, ब्रेड को दो

दृष्टि ब्रेड पर मक्खन लगाती है तो उसका चाकू से हल्का-सा उंग्ली मे कट लग जाता है ।


आयुष :
अरे बाबा....... तुम्हे कुछ भी काम नही आता
देखो, अपनी उंग्ली काट ली

आयुष दृष्टि के पास आता है और उसके हाथ से चाकू लेता  है और ब्रेड पर मक्खन लगाता  है वही मक्खन लगाते लगाते दृष्टि पर वार कर देता है ।

दृष्टि :
कहा खो गये आप,
यहा मेरी उंग्ली कट गई
और आप, सपनो मे खो रहे हो
आयुष :
एक लम्बी सी सास छोड़ता है :
बस तुम्हे खोना नही चाहता
दृष्टि :
हँसते हुए : बहुत हुआ तुम्हारा इमोशनल ड्रामा
अब चलो कुछ खाते है,
मुझे बहुत तेज भुख लगी है

दृष्टि और आयुष खाना खाने लगते है


(कट)
सीन 05 
दृष्टि ऑफिस के लिए तैयार हो रही है और आयुष उसे घुर घुर के देख रहा है

दृष्टि :
 आयुष ये टाई बांध देना
आयुष :
हल्की सी मुस्कान देकर दृष्टि को अपने पास खिँचता है और टाई से गला घोट रहा है

दृष्टि :
कुछ देर तक उसको देखती है :
अरे बार-बार कहा खो जाते हो तुम
आयुष :
कही नही .... तुम, इतनी अच्छी हो कि
तुम्हारी  याद मे खो जाता हूँ

(कट)


सीन 06
टाई बांधकर वह दोनो सीढियो से नीचे आते है

दृष्टि :
अचानक कुछ याद करते हुए :
आरे बाबा... मै तो अपना पर्स और
मोबाईल उपर ही भुल गई
रूको….. अभी उपर जाकर लेकर आती हूँ
आयुष :
हँसते हुए : तुम्हे उपर जाने की
कोई जरुरत नही है..... ये रहा तुम्हारा पर्स
और ये रहा तुम्हारा फोन
दृष्टि :
चलो….. बाहर तक तो छोड़ने चलो
अपने हाथो को जेब मे डालते हुए :
ओ शिट…….. मै तो अपनी गाडी की चाबी
उपर ही भुल आई  
आयुष :
लगता है आज तुम्हारा जाने का मन नही है
दृष्टि :
मै उपर से चाबी लेकर आई
आयुष :
तुम इतनी चिंता क्यु करती हो ?
मै लेकर आता हूँ
आयुष उपर चाबी लेने चला जाता है

(कट)

सीन 07
आयुष चाबी लेकर आता है देखता है कि उस गेट पर कोई नही है वह गेट के बाहर निकल कर अपना सर घुमाता है अचानक दृष्टि पीछे से आकर आयुष को गेट के बाहर पुरी ताकत से धक्का देती है साथ मे गेट के पास वह भी गिर जाती है
जल्दी से उठ कर वह गेट बंद करने की कोशिश करती है आयुष गेट के बीच मे अपना हाथ डालकर गेट से दृष्टि की चोटी पकड़ लेता है उसे गेट बंद करने से रोकता है दोनो के बीच मे कुछ देर तक खिचातानी  होती है अखिरकार दृष्टि गेट बंद कर देती है और भागकर उपर वाले कमरे मे चली जाती है

 (कट)
सीन 08
उपर वाले कमरे मे एक बच्चा होता है जिसे  दृष्टि अपनी गोद मे उठाती है और फूट फ़ूट कर रोती है कुछ देर बाद पुलिस को फोन करती है
दृष्टि :
फोन पर बात करते हुए :
हैलो पुलिस स्टेशन , सर मेरे घर पर कोई
खतरनाक आदमी घुस आया है.... आप यहाँ जल्दी से
अपने कुछ साथी को लेकर आ जाईये.....

(कट)






सीन 09
फ्लेश बैक  (एक रात पहले)
दृष्टि सीढियो से उपर वाले रूम के लिए जा रही है उपर पहुचँते ही देखती है एक आदमी जो उसके बच्चे को अपनी गोद मे उठाकर बैठा हुआ है जिसके हाथ मे चाकू भी है ये सब देखकर वह डर जाती है

दृष्टि :
वापस पीछे घुमकर अपने पति को फोन करती है :
रोते हुए : हैलो...... हमारे घर मे कोई खतरनाक
आदमी घुस आया है जो, हमारे चिकू को लेकर बैठा है
और उसके हाथ मे चाकू भी है
पति :
अच्छा तुम  रोऔ मत...
मै नेक्स्ट यु.एस फ्लाईट से आता हूँ

इतना सुनते ही दृष्टि फोन काट देती है और उस साईको (आयुष) पर नजर रखती है

(कट)

सीन 10
वह कभी हँस रहा होता है तो कभी रोता है, वह कभी बच्चे को उठाकर लोरी सुनाता है कभी चाकू से डराता है ये सब दृष्टि चुपके से देखती रहती है
ऐसा करते करते सुबह के चार बज जाते है वह साइको बच्चे को लेकर हाथ मे चाकू लिए सो रहा होता है।
(कट)

सीन 11
दृष्टि  थोड़ी हिम्मत जुटा कर दबे पाँव अपने किचन मे जाती है चारो तरफ नजरे घुमाती है देखती है कुछ मिल जाये.... कुछ देर सबकुछ देखने के बाद वह निराश कमरे से निकल जाती है और रोती है

(कट)
सीन 12   
दृष्टि चुपचाप हल्का सा दरवाजा खोलती  है और उस साइको यानी आयुष से बच्चा छिन कर भागने की कोशिश करती है इतने मे आयुष की आंख खुल जाती है और वह उस बच्चे पे चाकू से हमला कर देता है इसे देखकर दृष्टि चीख उठती है वह बोलती है
दृष्टि :
लम्बी सी सास भरते हुए : शुक्र है....
 यह एक सपना था …..
नही, मै एसा नही कर सकती ,
कुछ और करना पड़ेगा…..

दृष्टि सुबह के छ: बजने का इंतजार करती है वह उठकर आंसू पोछ्ती है पर्स से काजल लिप्सटिक लगाती है और दरवाजे की घंटी बजाती है
(कट)

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