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वक्त

Short Film: वक्त सीन 01 एक बड़ा सा घर है वहाँ एक आदमी रहता है जो अपने कमरे मे है जिसका नाम आयुष है और वही एक और औरत , घर के दरवाजे की घंटी बजाती है जिसका नाम दृष्टि होता है वह दो तीन बार बजाती है एक आवाज आती है आयुष : कौन है ? दृष्टि : अरे बाबा गेट खोलो आयुष : कौन ? दृष्टि : तुम्हारी पत्नी , जल्दी खोलो आयुष : दरवाजा खोलता है दृष्टि : बड़ी खुशी के साथ हग करती हुई : इतना टाइम कहाँ लगा दिया ……. ऊपर से पुछ रहे हो कौन ? आयुष : कही नहीं , बस एसे ही दृष्टि : शक की नजरों से देखते हुए : कही तुमने रात को ज्यादा चड़ा तो नही ली , जो ऐसा आज बिहेव कर रहे हो वो अंदर लेकर आयुष को आती है | (कट) सीन 02 दृष्टि और आयुष कमरे के अंदर है वे टीवी देख रहे है   दृष्टि : आयुष …... पता नही आज तुम ,   इतने बदले - बदले क्यो लग रहे हो ? आयुष : नही तो …. बस ऑफिस के काम से थोड़ा परेशान हूँ दृष्टि : आयुष के सर पर हाथ फेरहते हुए : चलो टेंशन न लो , मे हूँ ….. ये बात छोड़ो , कल रात को ,   क्या बनाया था तुमने ? मुझे बहुत ते...

बूंदा-बांदी और नाले का पानी

बारिश का मौसम था। हल्की-हल्की बारिश की बूंदा-बांदी हो रही थी शाम के छः बज रहे थे लोग अपने दफ्तर से घर की और जाने के लिए बस स्टेंण्ड पर बस का इंतजार कर रहे थे अन्य दिन के मुकाबले बस की सेवा भी बहुत कम थी बस भी नही आ रही थी वहीं उसी लोगो की भीड़ मे एक 20 वर्ष का लड़का बस स्टेंण्ड पर बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर हल्की-हल्की दाढी-मूछ थी आँखो का रंग भूरा था और साधारण से कपडे पहने हुए थे ऊपर केसरी रंग का कुर्ता था और नीचे काले रंग की पेंट। अपनी गोद मे बैग लिए हुए उसे बजा रहा था। अन्य लोगो के मुकाबले वह  लड़का बहुत धैर्य पूर्वक बैठा हुआ अपनी मस्ती से मग्न था। कभी बैग बजाता , कभी गाना गाता तो कभी अपने आप में बढबढाता हुआ नाटक करता। आस-पास खडे स्टेंण्ड पर लोग उसे पागल समझते लेकिन उस लड़के को ये परवाह नही थी कि लोग क्या सोचते है लोगो कि सोच को वह अपने पर हावी नही होने देता। काफी देर बाद एक लोकल वाहन आता है , उस बस स्टेंण्ड पर और वह वाहन चालक सवारी को आवाज लगाता है। वह लड़का उस वाहन चालक के पास जाता है , पूछता है “खानपुर चलोगें।” वाहन चालक उस लड़के को टका सा जवाब देते हुए कहता है “भईया खानप...

Silent Tears Heart Touching Short Film

आज के इस युग मे एक कहावत है कि “एक माँ-बाप से चार औलद तो पाली जा सकती है लेकिन चार औलाद से एक माँ बाप नही”। आज का हमारा ये लेख इसी पर आधारित है। “साईलेंट टियर्स”  एक दिल को छुने वाली एक कहानी है जो कही ना कही एक हर घर की सच्चाई है। जिसे एक विडियो के माध्यम से निर्देशक  युनुस खान   और निर्देशक सहयोगी  इक्बाल खान   ने दर्शया है। इस कहानी के लेखक  एहसास रॉक ,  इसके एडिटर  हयान आर्यन  और कास्टिंग  विवेक  और  सुमित  द्वारा की गई है। इसको  7एम्पायरफिल्म   के कलाकरो ने प्रस्तुत किया है| एक औरत की शादी को दस साल से ज्यादा हो गए है उसकी कोई संतान नही हुई है वह औरत हर रोज पार्क मे जाके छोटे-छोटे बच्चे को देखकर खुश होती है लेकिन ये समाज जिसका कोई बच्चा नही होता है तो उसे बांज या हिन भावना से देखने लगता है तरह तरह की बाते बनाता है लेकिन वह औरत फिर भी सबका सम्मान करती है। एक सुबह वह मंदिर जा रही होती है तो उसे वहाँ एक दो वर्ष की बच्ची रोती हुई दिखाई देती है ,  वह उस बच्ची की उपेक्षा करके आगे ...