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शक्ल | अहसास विद आरज़ू



शक्ल | अहसास विद आरज़ू

अहसास एक जवान लड़का। जो अकेला रहता है। अपने आप को अंधेरे में रखता यानी उसके कमरे की हर वक्त लाइट बंद रहती है। उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा घटा है जिसके कारण वे खुद को अकेला कर लिया है। किसी से मिलना पसंद नहीं करता। कहीं जाना भी नहीं चाहता। अहसास के घर में और कोई नहीं है। मम्मी - पापा गुजर चुके हैं और भाई - बहन हैं नहीं। उसका एक दोस्त है जिसका नाम सूरज है।

सीन 01 :

सूरज अहसास के घर आता है उसे अपने साथ कहीं बाहर ले जाने के लिए

सूरज : अहसास चल कहीं बाहर चलते हैं।
अहसास : नहीं, मेरा मन नहीं है।
सूरज : यार, कब तक अपने को कमरे में बंद करके रखेगा? चल मेरे साथ।
अहसास थोड़ी देर उसे देखता है और फिर साथ चल देता है।

( कट )


सीन 02 :

दोनों मार्किट में हैं, गोलगप्पे की दुकान पर। दुकान पर कुछ दोस्त और भी है जो गोलगप्पे खा रहे हैं और मस्ती कर रहे हैं। ( दो लड़के है और दो लड़कियां )

पहला लड़का दोस्त ( गोलगप्पे वाले से ) : भाई थोड़ा तीखा बना।
दूसरा लड़का दोस्त ( अपने दोस्त से ) : अबे, पेट खराब करवाना है क्या?
पहली लड़की दोस्त ( अपनी दोस्त आरज़ू से - जिसके चेहरे पर एक काला सा निशान था ) : कल शादी आएगी तो अपना चेहरा ठीक करके आइयों?

सभी हंसने लगते हैं। ये देख कर वो लड़की रोने लगती है। पास से अहसास और सूरज गुजर रहे है। तभी अहसास ने सब सुन लिया है। वो उस रोती हुई लड़की के पास जाता है;

अहसास ( रुमाल देते हुए ) : आपको रोने की जरूरत नहीं, आपका चेहरा कुदरती खूबसूरत है।
इतना कहकर वो चल देता है और लड़की उसे जाते हुए देखती रहती है।
( कट )

सीन 03 :

अहसास घर आता है। कमरे की लाइट को कभी ऑन, कभी ऑफ करता है। थोड़ी देर बाद लाइट ऑन करके, उस लड़की के खयाल में खोने लगता है।

( कल्पना में अहसास सोच रहा है की वो लड़की खुद आईने में निहार रही है। खुश हो रही है। सोचते हुए वो सो जाता है। )
( कट )


सीन 04 :

अहसास अगले दिन सुबह अकेले मार्किट जाता है। उसी जगह जहां पर वो उस लड़की से मिला था। ( लेकिन वहाँ पर आज गोलगप्पे वाले के अलावा कोई नहीं है। वो वापस आकर अपने कमरे में बैठा होता है। अचानक उसको एक आवाज़ सुनाई पड़ती है की जैसे कोई गिटार बजा रहा हो। वो उस आवाज़ को सुनने के लिए कमरे से बाहर बालकनी में आता है। वो देखता है की उसके सामने वाले घर की बालकनी में एक लड़की गिटार बजा रही है। ये वही लड़की है जो उसे मार्किट में मिली थी। अहसास उसे देखता है। मुसकुराता है। वो लड़की भी अहसास को देखती है और पहचान जाती है। वो भी मुसकुराती है।
( कट )

सीन 05 :

लड़की और अहसास दोनों बालकनी में दोबारा से मिले हैं। लड़की अहसास को उसका दिया हुआ रुमाल दिखाती है।

लड़की ( इशारों में ) : ये आपका है।
अहसास ( इशारों में ) : हाँमी भरता है।
लड़की ( इशारों में ) अहसास को नीचे बुलाती है उसका रुमाल वापस करने के लिए

( कट )

सीन 06 :

दोनों एक पार्क में है।

लड़की : आपका नाम क्या है?
अहसास : नाम, .... अहसास। ... और आपका?
लड़की : आरज़ू
अहसास : बहुत ही प्यारा नाम आपका।
आरज़ू : आपका भी।

वो बैठे हुए हंस रहे हैं और रुमाल देना भूल जाते हैं।

( कट )

सीन 07 :

दोनों बालकनी पर हैं।

आरज़ू ( कान पकड़ते हुए इशारे में ) : रुमाल रह गया।
अहसास ( हँसता है और माथे पर हाथ रखता है )
आरज़ू ( इशारे में - हाथ जोड़कर ) उसे फिर से नीचे बुलाती है।

( कट )

सीन 08 :

दोनों पार्क में है। बैंच पर बैठे हैं।

आरज़ू : अहसास कल तुमने मुझसे रुमाल मांगा क्यों नहीं?
अहसास : मुझे याद ही नहीं रहा। ..... तुम भी तो दे सकती थी।
आरज़ू : फिर मिलते कैसे?
अहसास : मिलने के लिए किसी बहाने की जरूरत नहीं।
आरजू : ( मुसकुराती है और फिर बोलती है ) अहसास एक बात पूछूं?
अहसास : पूछो।
आरज़ू : तुम अपने चेहरे पर ये रुमाल क्यों बांध कर रखते हो? पता है... गुंडे दिखते हो।
अहसास : ये रुमाल मैं काला ना हो जाऊँ इसलिए ये रुमाल बांध कर रखता हूँ। ( और हँसता है )
आरज़ू ( मुसकुराती हुई ) चलो छोड़ो, कल ना मेरा हॅप्पी वाला बर्थड़े है। तुमको आना होगा।

( कट )

सीन 09 :

बर्थड़े का दिन। पार्टी चल रही है। अहसास सूरज के साथ है। तभी उनके पास में आरज़ू आती है। वो उसे बर्थड़े विश करता है। गिफ्ट देता है। आरज़ू उसे देखती है और

आरज़ू ( अहसास से ) : अब कौन सा यहाँ धूप निकाल रही है जो तुम काले हो जाओगे। हटाओ इस रुमाल को।
अहसास ( घबराता है, इधर - उधर देखता है ) रुमाल.....
आरज़ू : हाँ, ये रुमाल।
अहसास ( सूरज को देखता हुआ ) नहीं, ये नहीं हटा सकता।
आरज़ू ( हँसती है ) : ....हो... नहीं हटा सकते

( और एक ही झटके में रुमाल अहसास के चेहरे से खींच लेती है। आरज़ू उसके चेहरे को कुछ देर देखती रहती है, फिर हँसती है.... हँसती ही जाती है। अहसास वहाँ से चला जाता है। )

सूरज ( आरज़ू से ) : तुमने ये अच्छा नहीं किया।

( और वो भी वहाँ से चला जाता है )

( कट )

सीन 10 :

अहसास अपने कमरे में। लाइट बंद है। अपने खयाल में आरज़ू की हंसी को दोहरा रहा है। अकेला है।

अहसास ( ऊपर देखते हुए, खुदा को याद करते हुए ) : क्यों करता है तू ऐसा मेरे साथ? और क्यों होता है ऐसा मेरे ही साथ? बचपन में माँ - बाप ले लिए। और अब एक प्यारा सा दोस्त मिला उसे भी छिन लिया। मेरे चेहरे को बनाने वाला तू है। इसमे मेरा क्या कसूर है?

( और अकेले कमरे में बैठे - बैठे बस रोता ही जाता है )

( कट )

सीन 11:

आरज़ू बालकनी में। कई दिन बीत चुके हैं। अहसास बालकनी में नहीं आया है। उसे देखने के लिए वो आई है। काफी दिनों के बाद अहसास बालकनी पर आया है।

आरज़ू ( इशारों में ) ताली बजाकर, कभी दरवाजा बजाकर अहसास को अपनी ओर देखने को मजबूर करती है। लेकिन वो नहीं देख रहा। वो ज़ोरों से दरवाजे को बजाती है। इस बार अहसास उसे देखता है।

आरज़ू ( इशारों में ) : अपने कान पकड़ती है। अपनी उँगलियाँ गिनवाती हुई पूछती है की इतने दिन कहाँ थे?

अहसास ये सब देखकर अपनी गार्डन झुका लेता है। वो फिर से दरवाजा बजाती है। वो देखता है।

आरज़ू ( इशारों में ) : हाथ जोड़कर उसे नीचे मिलने के लिए बुलवाती है।

( कट )


सीन 12 :

दोनों पार्क में है। खड़े हैं।

आरज़ू : इतने दिन तुम थे कहाँ?
अहसास ( थोड़ा गुस्से में ) : बताओ मुझे यहाँ किस लिए बुलाया है?
आरज़ू : अभी तक नाराज़ हो?
अहसास : तुम बताओ, मुझे किस लिए बुलाया है?
आरज़ू : मुझे पता है तुम मुझसे नाराज़ हो। तुम्हें मालूम हैं मैं उस दिन किस लिए हंसी थी? इसलिए, की तुम इसे छुपा रहे हो। याद है, तुमने मुझे एक बार कहा था ( सीन 02 अहसास का डायलोग )

आरज़ू : तुम तो कुदरती खूबसूरत हो।

( दोनों एक दूसरे को देखकर मुसकुराते हैं। )

( कट )

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